‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से मतदाताओं को होगा सीधा लाभ

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विशेषज्ञ वार्ता में हुई गहन चर्चा, एक साथ चुनाव से विकास और स्थिरता पर दिया जोर

पूर्व आईएएस जेसी शर्मा और पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज ने साझा किए अपने विचार

चुनाव खर्च, प्रशासनिक बोझ और नीति स्थिरता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सुधार


One Nation One Election हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय विधि अध्ययन संस्थान द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन एवा लॉज, शिमला में किया गया। इस कार्यक्रम में पूर्व आईएएस अधिकारी जेसी शर्मा, पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज और विधि अध्ययन संस्थान के प्रमुख शिव डोगरा उपस्थित रहे। चर्चा के दौरान एक साथ चुनाव कराने के लाभ और इसके प्रभावों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

पूर्व आईएएस जेसी शर्मा ने बताया कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का अर्थ है कि सभी राज्य विधानसभाओं, लोकसभा और स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं और पंचायतों) के चुनाव एक साथ कराए जाएं। भारत में 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया बाधित हो गई। वर्तमान में हर वर्ष चुनाव होते हैं, जिससे भारी सरकारी व्यय होता है, सुरक्षा बलों और निर्वाचन अधिकारियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और आदर्श आचार संहिता के कारण विकास कार्य प्रभावित होते हैं

उन्होंने बताया कि भारत के विधि आयोग ने 170वीं रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता पर जोर दिया था। यदि यह प्रणाली लागू होती है, तो हर पांच साल में पूरे देश में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए केवल एक बार चुनाव कराए जाएंगे। इससे मतदान प्रक्रिया सुगम होगी, मतदाता जागरूकता बढ़ेगी, और चुनावी थकान से बचा जा सकेगा

पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के आर्थिक और नीतिगत लाभ गिनाते हुए कहा कि बार-बार चुनाव होने से निवेश और विकास योजनाओं में अस्थिरता आती है। अगर सरकार के तीनों स्तरों (केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों) के चुनाव एक साथ होंगे, तो व्यापार और उद्योग जगत को नीतिगत अनिश्चितता से राहत मिलेगी। इससे प्रवासी श्रमिकों को बार-बार मतदान के लिए छुट्टी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला चक्र में भी सुधार होगा

एक राष्ट्र, एक चुनाव के संभावित लाभ

  1. चुनावों पर होने वाले भारी सरकारी खर्च में कमी आएगी।

  2. मतदाता जागरूकता और मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी।

  3. आदर्श आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।

  4. राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी।

  5. प्रशासनिक और सुरक्षा बलों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।